Advance Rulings (अग्रिम निर्णय )

अग्रिम निर्णय

Advance Rulings (अग्रिम निर्णय )
income tax gst

 

आयकर अधिनियम में अग्रिम निर्णय  के संबंध में एक नया अध्याय जोड़ा गया है इसमें करदाताओं के सम्बन्ध  में अग्रिम निर्णय देने की योजना है ताकि अनावश्यक मुकदमे बाजी ना हो और करदाता से अच्छे संबंध स्थापित हो सके। 

अग्रिम निर्णय -


  1.  ऐसे निर्णय से आशय है कि अनिवासी करदाता किसी व्यवहार के संबंध में जो उसने हाथ में लीया है या लिया  जाना प्रस्तावित है कानूनी प्रश्न  अथवा तत्व को निर्धारित करने के लिए प्रार्थना पत्र देता है तो प्राधिकरण इस बिंदु पर अपना अंतिम निर्णय  देता है
  2.  निवासी कर दाता किसी व्यवहार के संबंध में जो उसने किसी आदिवासी के साथ हाथ में लिया या दिया जाना प्रस्तावित है तो ऐसे व्यवहार के संबंध में अनिवासी का कर दायित्व निर्धारित करने के लिए अग्रिम निर्णय दे देता है
  3.  निवासी कर दाता  किसी व्यवहार के संबंध में जो उसने किसी निवासी के साथ हाथ में लिया  जाए वह दिया जाना प्रस्तावित है तो ऐसे व्यवहार में आवेदक का कर दायित्व  निर्धारित करने के लिए अग्रिम निर्णय दे देता है
  4.  कुल आय की गणना के सम्बन्ध के संबंध में जो किसी आयकर प्राधिकरण अद्व ट्यूनल के समक्ष लंबित है तथा किसी कानूनी प्रश्न पत्र से संबंधित है

अग्रिम निर्णय के लिए प्रार्थना पत्र-

एक आवेदन जो किसी मामले में अग्रिम निर्णय चाहता  है को निर्धारित फार्म पर एक प्रार्थना पत्र देना होगा जिसमें वह मामला लिखेगा जिस के संबंध में वह अंतिम  निर्णय चाहता है तथा ₹10000 अथवा निर्धारित राशि जो अधिक हो फीस भी जमा करेगा इस प्रार्थना पत्र की 4 प्रति लिपियां दाखिल करनी होगी ऐसा प्रार्थना पत्र 30 दिन के अंदर वापस लिया जा सकता है 

 प्रार्थना पत्र प्राप्त होने के बाद कार्यवाही-

 प्रार्थना पत्र प्राप्त होने के बाद प्राधिकारी  प्रार्थना पत्र प्राप्त होने के बाद प्राधिकारी किस-किस की प्रतिलिपि संबंधित आयकर प्रधान कमिश्नर या कमिश्नर को भेज  देगा यदि वह आवश्यक समझे तो उसे आवश्यक रिकॉर्ड मांग सकता है यह रिकॉर्ड प्रधान कमिश्नर या कमिश्नर को शीघ्र अतिशीघ्र वापस कर दिया जाए प्राधिकारी इस प्रार्थना पत्र को चाहे स्वीकार करें  असुविकर कर दे प्राधिकारी प्रार्थना पत्र को  उस समय तक  अस्वीकार नहीं कर सकता जब तक कि प्रार्थी को सुनने का अवसर ना दिया जाए इसके अतिरिक्त प्रार्थना पत्र को स्वीकार  करने के कारण  भी आदेश में लिखने होंगे प्रत्येक आदेश की प्रतिलिपि प्रार्थी को एक प्रधान कमिश्नर या  कमिश्नर को भेजनी होगी
प्राधिकारी निम्न दिशा में प्रार्थना पत्र स्वीकार नहीं करेगा
  • वह पहले से किसी आयकर अधिकारी अथवा अपीलेट ट्रिब्यूनल अथवा न्यायालय में विचाराधीन है
  •  किसी संपत्ति का उचित बाजार मूल निर्धारित करने से संबंधित है
  •  ऐसे व्यवहार के संबंध में है जो प्रारंभिक रूप से आयकर बचाने के लिए लगता है
परंतु उपर्युक्त प्रावधान 1 ,2,3 निवासी प्राप्ति की दशा में लागू नहीं होंगे-

यदि प्रार्थना पत्र स्वीकार कर दिया जाता है तो प्राधिकारी उस रिकॉर्ड की पूर्ण परीक्षा करेगा तो जो उसके पास है तथा जो वह प्राप्त कर लेता है तत्पश्चात वह  प्रार्थना पत्र में लिखे हुए बिंदु पर अपना अग्रिम निर्णय दे देगा प्रार्थी के आवेदन करने पर अपराधी स्वयं उपस्थित हो सकता है अथवा आपने अपने किसी अधिकृत प्रतिनिधि अथवा द्वारा प्रतिनिधित्व कर सकता है प्राधिकारी को अपना अग्रिम लड़ रहे प्रार्थना पत्र प्राप्त करने के बाद 6 माह के अंदर देना होगा तथा निर्णय की प्रतिलिपि कमिश्नर को तथा एक प्रति प्राथि को  यथाशक्ति शीघ्र भेजनी होगी।
              

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