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पुस्तपालन का आशय (Meaning of Book-Keeping)

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       जब कोई  पुस्तक क्रय की गयी है तब क्रेता ने इसके लिए एक राशि विक्रेता को दी है। या यदि क्रेता का खाता विक्रेता के यहाँ है। तो इसका भुगतान बाद में कर दिया जायेगा । तो इस प्रकार के मूल्य में हस्तान्तरण को सौदा कहा जाता है। यदि क्रेता ने यह किताब उधार ली है।तो इसके भुगतान के समय एक सौदा और होगा । सौदे इतने अधिक एवं इतने जटिल होते है। कि उन्हें याद रखना कठिन होता है। इन सौदो के मौद्रिक रुप को लिख लिया जाता है। इन्ही लेखों को पुस्तपालन कहा जाता है।