साझेदारी (partnership) Introduction, Admission of a new partner, Death of a partner, Dissolution of partnership.. 🍁

साझेदारी का आशय

व्यवसाय को सुचारु रुप से चलाने के लिए साझेदारी का महत्व बहुत ज्यादा बढ़ गया है साझेदारी का कार्य सुचारु रुप से चलाने एवं उसके उद्देश्य प्राप्त करने में साझेदारी संबंधी लेखांकन का विशेष स्थान है साझेदारी संबंधी लेखांकन के विस्तृत से अध्ययन के पूर्व इसकी परिभाषा आदि का ज्ञान आवश्यक है 

 
व्यापारिक और अव्यापारिक साझेदारी (Trading and Non-trading Partnership)-
साझेदारी का मुख्य का निर्माण करना या माल का क्रय विक्रय होता है उसे व्यापारिक साझेदारी कहा जाता है और जो साझेदारी सेवाएं देने के लिए होती है उसे व्यापारिक साझेदारी कहा जाता है जैसे सार्वजनिक पुस्तकालय, चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की साझेदारी, आदि
साझेदारी के आवश्यक लक्षण
दो या दो से अधिक व्यक्ति का होना-
साझेदारी के लिए दो या दो से अधिक व्यक्तियों का होना बहुत ही आवश्यक है क्योंकि एक व्यक्ति स्वयं साझेदार नहीं बन सकता है यदि सामान्य साझेदारी में सदस्यों की संख्या 20 से अधिक तथा बैंकिंग व्यवसाय में लगी साझेदारी में साझेदारों की संख्या 10 से अधिक होती है तो सारी सारी अवैध हो जाती है
 कारोबार का उद्देश्य लाभ कमाना तथा उसे आपस में विभाजित करना- साझेदारी का महत्वपूर्ण लक्षण कारोबार से लाभ कमाना तथा उसे साझेदारों के बीच बांटना है अतः कोई भी कारोबार जिसका उद्देश्य लाभ कमाना नहीं है बल्कि दूसरों का कल्याण करना या परोपकार करना साझेदारी का कारोबार नहीं हो सकता साझेदारी कारोबार का उद्देश्य अर्जित लाभ को शायद आपस में बांटना भी होना चाहिए

साझेदारी संलेख

जब कोई साझेदारी स्थापित की जाती है तो प्रायः साझेदारी से संबंधित संपूर्ण शर्तों को एक पत्र पर लिख लिया जाता है इस लिखित प्रपत्र को साझेदारी संलेख कहा जाता है कुछ महत्वपूर्ण तथ्य जो निम्नलिखित हैं

☆पूँजी- साझेदारों द्वारा फर्म में लगाई जाने वाली पूंजी का विवरण, पूंजी में वृद्धि करने की शर्तें, पूंजी चल या अचल हो गी इसका विवरण

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